प्यार है ये भी तो कुछ कहते हैं कविता पेड़ पूनम श्रीवास्तव। तू माँ भी बेटी भी इश्क इधर भी उधर भी अन्तर्युद्ध अब भी है तब भी होगा साहेबान पर बन तो जायेगा फिर से ये अटूट हिन्दूस्तान ये लंगोटधारी

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